Sunday, July 18, 2010

माता वैष्णो देवी की यात्रा

पहाड़ों वाली माता वैष्णो देवी सबकी मुरादें पूरी करती हैं। उनके दरबार में जो कोई सच्चे दिल से जाता है, उसकी हर मुराद पूरी होती है। लोग मानते हैं कि माता जब बुलाती हैं तो भक्त किसी न किसी बहाने से उनके दरबार पहुंच ही जाता है। जो बिना बुलाए जाता है, वह कितना ही चाहे माता के दर्शन नहीं कर पाता। हसीन वादियों में त्रिकूट पर्वत पर गुफा में विराजित माता वैष्णो देवी का मंदिर हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां दूर-दूर से लाखों श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं।

कैसे पहुंचें वैष्णो मां के दरबार
मां वैष्णो देवी के दर्शन करने के इच्छुक श्रद्धालुओं का पहला पड़ाव जम्मू होता है। जम्मू तक आप बस, टैक्सी, ट्रेन या फिर हवाई जहाज से पहुंच सकते हैं। गर्मियों में वैष्णो देवी जाने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ जाती है इसलिए रेलवे द्वारा हर साल यात्रियों की सुविधा के लिए दिल्ली से जम्मू के लिए विशेष ट्रेनें चलाई जाती हैं। जम्मू भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग एक से जुड़ा है। इसलिए यदि आप बस या टैक्सी से भी जम्मू पहुंचना चाहते हैं तो आपको कोई परेशानी नहीं होगी। उत्तर भारत के कई प्रमुख शहरों से जम्मू के लिए आपको आसानी से सीधी बस और टैक्सी मिल सकती है।

मां के भवन तक, यात्रा की शुरुआत का बेस कैंप कटरा होता है, जो कि जम्मू जिले का एक गांव है। जम्मू से कटरा की दूरी लगभग 50 किमी है। कटरा और जम्मू के बीच बस और टैक्सी सेवा चलती है। कटरा समुद्रतल से 2500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। कटरा तक आप आसानी से बस या टैक्सी से पहुंच सकते हैं। जम्मू रेलवे स्टेशन से कटरा के लिए भी कई बसें मिल जाएंगी, जिनसे आप लगभग 2 घंटे में कटरा पहुंच सकते हैं।

वैष्णों देवी यात्रा की शुरुआत
मां वैष्णो देवी यात्रा की शुरुआत कटरा से होती है। अधिकांश यात्री यहां आराम करके अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। कटरा से अर्धकुंवारी मंदिर की दूरी 8 किमी और मां के मुख्य मंदिर तक की दूरी लगभग 13 किलोमीटर है। मां की पवित्र गुफा से भैरवनाथ की दूरी लगभग 8 किलोमीटर है। मां के दर्शन के लिए रातभर यात्रियों की चढ़ाई का सिलसिला चलता रहता है।
कटरा से ही माता के दर्शन के लिए नि:शुल्क 'यात्रा पर्ची' मिलती है। पर्ची लेने के बाद ही आप कटरा से मां वैष्णो के दरबार तक की चढ़ाई की शुरुआत कर सकते हैं। पर्ची लेने के तीन घंटे बाद आपको चढ़ाई शुरू होने से पहले 'बाण गंगा' चेक प्वाइंट पर इंट्री करानी पड़ती है और वहां सामान की चेकिंग कराने के बाद ही आप चढ़ाई शुरू कर सकते हैं। यदि आप यात्रा पर्ची लेने के तीन घंटे बाद तक चेक पोस्ट पर इंट्री नहीं कराते हैं तो आपकी यात्रा पर्ची रद्द हो सकती है। हमेशा ध्यान रखें कि यात्रा प्रारंभ करते समय ही यात्रा पर्ची लें। जो लोग कठिन चढ़ाई करने में सक्षम नहीं हैं, उनके लिए बाण गंगा से पालकी, और घोड़े की सुविधा है। अब तो मंदिर प्रशासन द्वारा अर्धकुंवारी मंदिर से माता के मुख्य द्वार तक बैट्री चालित ऑटो भी चलाया जा रहा है। जिसमें एक बार में पांच-छह यात्री आराम से यात्रा कर सकते हैं।

जलपान और भोजन की व्यवस्था
चढ़ाई के दौरान रास्ते भर में जगह-जगह पर जलपान और भोजन करने की व्यवस्था है। जिसका भुगतान करके आप यह सुविधा ले सकते हैं। कम समय में मां के दर्शन के इच्छुक यात्री हेलीकॉप्टर सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं। लगभग 2200 से 2800 रुपए खर्च कर दर्शनार्थी कटरा से 'सांझीछत' (भैरवनाथ मंदिर से कुछ किमी की दूरी पर स्थित) तक हेलीकॉप्टर से पहुंच सकते हैं। कटरा और मुख्य भवन तक की चढ़ाई के दौरान कुछ स्थानों पर अपना सामान रखने के लिए निशुल्क 'क्लॉक रूम' की सुविधा भी उपलब्ध है।

माता वैष्णो देवी को लेकर मान्यताएं
माता वैष्णो देवी को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। प्राचीन काल से चली आ रही मान्यता के अनुसार माता वैष्णो के भक्त श्रीधर ने एक बार अपने गांव में माता का भण्डारा रखा और सभी गांववालों व साधु-संतों को भंडारे में आने का निमंत्रण दिया। गांववालों को पहले गरीब श्रीधर की बातों पर यकीन नहीं हुआ। फिर भी वह भंडारे में गए। वैष्णो माता भी अपने भक्त श्रीधर की लाज रखने के लिए कन्या का रूप धर कर भण्डारे में आईं थी। श्रीधर ने भैरवनाथ को भी अपने शिष्यों के साथ आमंत्रित किया गया था। भंडारे में भैरवनाथ ने खीर-पूड़ी की जगह मांस और मदिरा सेवन करने की बात की। श्रीधर ने इस पर असहमति जताई।
भोजन को लेकर भैरवनाथ के हठ पर अड़ जाने के कारण कन्यारूपी माता ने भी भैरवनाथ को समझाना चाहा, लेकिन भैरवनाथ ने उसकी बात अनसुनी कर दी। जब भैरवनाथ ने उस कन्या को पकडऩा चाहा, तब कन्या रूपी माता वैष्णो देवी वहां से त्रिकूट पर्वत की ओर भागीं और एक गुफा में नौ माह तक तपस्या की। जिस गुफा में माता ने तपस्या की वह गुफा 'अर्धकुंवारी' के नाम से प्रसिद्घ है। कहते हैं जब माता तपस्या कर रही थीं, तो माता की रक्षा के लिए हनुमान जी ने गुफा के बाहर पहरा दिया। अर्धकुंवारी के पास ही माता की चरण पादुका भी है। कहावत के अनुसार यह वह स्थान है, जहां माता ने भागते-भागते मुड़कर भैरवनाथ को देखा था। मान्यता के अनुसार उस वक्त भी हनुमान जी माता की रक्षा के लिए उनके साथ ही थे। हनुमान जी को प्यास लगने पर माता ने उनके आग्रह पर धनुष से पहाड़ पर बाण चलाकर एक जलधारा निकाली और उस जल में अपने केश धोए। आज यह पवित्र जलधारा 'बाणगंगा' के नाम से जानी जाती है। बाणगंगा का पवित्र जल पीने या इससे स्नान करने से श्रद्धालुओं की सारी थकावट और तकलीफें दूर हो जाती हैं।

'भवन'
जिस स्थान पर मां वैष्णो देवी ने हठी भैरवनाथ का वध किया, वह स्थान 'पवित्र गुफा' अथवा 'भवन' के नाम से प्रसिद्ध है। इसी स्थान पर मां काली, सरस्वती और लक्ष्मी के पिंड रूप में क्रमश: दाएं, मध्य और बाएं विराजित हैं। इन तीनों के सम्मिलत रूप को ही मां वैष्णो देवी का रूप कहा जाता है। मान्यता के अनुसार जब माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ का वध किया था तो उसका शीश भवन से 8 किमी दूर जिस स्थान पर गिरा, उस स्थान को 'भैरोनाथ के मंदिर' के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि अपने वध के बाद भैरवनाथ को अपनी भूल का पश्‍चाताप हुआ और उसने मां से क्षमा याचना की। माता वैष्णो देवी ने भैरवनाथ को वरदान देते हुए कहा कि मेरे दर्शन तब तक पूरे नहीं माने जाएंगे, जब तक कोई भक्त मेरे बाद तुम्हारे दर्शन नहीं करेगा। उसी मान्यता के अनुसार आज भी भक्त माता वैष्णो देवी के दर्शन करने के बाद 8 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर भैरवनाथ के दर्शन करने को जाते हैं।

ठहरने का स्थान
माता के भवन में पहुंचने वाले यात्रियों के लिए जम्मू, कटरा, भवन के आसपास मां वैष्णो देवी मंदिर प्रशासन द्वारा संचालित कई धर्मशालाएं व होटल हैं, जिनमें विश्राम करके आप अपनी यात्रा की थकान मिटा सकते हैं। पहले से बुकिंग कराके आप परेशानियों से बच सकते हैं। आप चाहें तो प्राइवेट होटलों में भी रुक सकते हैं। 400 रुपए तक अच्छा और सस्ता गेस्ट हाउस मिल जाएगा।

नवरात्रों के दौरान ध्यान दें
नवरात्रों के दौरान मां वैष्णो देवी के दर्शन करने की विशेष मान्यता है। इस दौरान पूरे नौ दिनों तक प्रतिदिन देश और विदेशों से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। कई बार तो श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या से ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है कि कटरा के पर्ची काउंटर से यात्रा की पर्ची देने पर रोक लगानी पड़ती है।

मां वैष्णो देवी की यात्रा के दौरान रखें ख्याल
* चढ़ाई के वक्त अपने साथ कम से कम सामान ले जाने की कोशिश करें, जिससे चढ़ाई में आपको परेशानी न हो।
* पैदल चढ़ाई करने में ट्रेकिंग शूज और छड़ी आपके लिए बेहद मददगार साबित होगी।
* वैसे तो मां वैष्णो देवी के भक्त उनके दर्शनार्थ साल भर जाते हैं, लेकिन यहां जाने का बेहतर मौसम गर्मी है।

* सर्दियों में मां के मुख्य भवन का न्यूनतम तापमान माइनस तीन से माइनस चार डिग्री तक हो जाता है और सर्दियों के मौसम मे चट्टानों के खिसकने का खतरा भी रहता है। इसलिए इस मौसम में यात्रा करने से बचें।
* ब्लड प्रेशर के मरीज हमेशा चढ़ाई के लिए सीधे रास्ते का प्रयोग करें, सीढिय़ों का उपयोग कतई न करें।
* अपने साथ आवश्यक दवाइयां जरूर रखें।
यात्रा का समय- साल भर
निकटतम हवाई अड्डा- जम्मू
रेलवे स्टेशन- जम्मू
यात्रा का रूट- जम्मू से कटरा- 48 किमी., कटरा से वैष्णो देवी- पैदल 13 किमी.
दिल्ली से कुल दूरी- 663 किमी.

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर यात्रा विवरण
    जय माता दी!

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