Sunday, July 18, 2010

सालासर बालाजी मंदिर

राजस्थान के चुरू जिले में स्थित है सालासर बालाजी का मंदिर। जयपुर बीकानेर सड़क मार्ग पर स्थित सालासर धाम हनुमान भक्तों के बीच शक्ति स्थल के रूप में जाना जाता है। भक्तों की इस मंदिर में अगाध आस्था है। आपको यहां हर दिन हजारों की संख्या में देशी-विदेशी भक्त मत्था टेकने के लिए कतारबद्ध खड़े दिखाई देंगे।


कैसे पहुंचें बालाजी
जयपुर से लगभग 2 घंटे के सफर के बाद यहां पहुंचा जा सकता है। यहां हनुमान जी की वयस्क मूर्ति स्थापित है, इसलिए भक्तगण इसे बड़े हनुमान जी पुकारते हैं। एक कथा के अनुसार, राजस्थान के नागौर जिले के एक छोटे से गांव असोता में संवत 1811 में शनिवार के दिन खेत की जुताई करते समय एक किसान का हल रुक गया। हल किसी शिला से टकरा गया था। वह तिथि श्रावण शुक्ल नवमी थी।
उसने उस स्थान की खुदाई की, तो मिट्टी और बालू से ढंकी हनुमान जी की प्रतिमा निकली। किसान और उसकी पत्नी ने इसे साफ किया और घटना की जानकारी गांव के लोगों को दी। माना जाता है कि उस रात असोता के जमींदार ने रात में स्वप्न देखा कि हनुमान जी कह रहे हैं कि मुझे असोता से ले जाकर सालासार में स्थापित कर दो। ठीक उसी रात सालासर के एक हनुमान भक्त मोहनदास को भी हनुमान जी ने स्वप्न दिया कि मैं असोता में हूं, मुझे सालासर लाकर स्थापित करो। अगली सुबह मोहनदास ने अपना सपना असोता के जमींदार को बताया। यह सुनकर जमींदार को आश्चर्य हुआ और उसने बालाजी (हनुमान जी) का आदेश मानकर प्रतिमा को सालासर में स्थापित करा दिया। धीरे-धीरे यह छोटा सा कस्बा सालासर धाम के नाम से विख्यात हो गया।
मंदिर परिसर में हनुमान भक्त मोहनदास और कानी दादी की समाधि है। यहां मोहनदास जी के जलाए गए अग्नि कुंड की धूनी आज भी जल रही है। भक्त इस अग्नि कुंड की विभूति अपने साथ ले जाते हैं। मान्यता है कि विभूति सारे कष्टों को हर लेती है। पिछले बीस वर्षो से यहां पवित्र रामायण का अखंड कीर्तन हो रहा है, जिसमें यहां आने वाला हर भक्त शामिल होता है और बालाजी के प्रति अपनी आस्था प्रकट करता है। चैत्र पूर्णिमा और आश्विन पूर्णिमा के दिन प्रतिवर्ष यहां बहुत बड़ा मेला लगता है।

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